पूज्य बापूजी :
केवल हम उनकी दृष्टि के सामने आयें और उनके हृदय में सद्भाव आया तो हम को बहुत कुछ मिल जाता है । महापुरुषों के हृदय में तो सद्भाव स्वाभाविक होता रहता है लेकिन श्राप तो उनको कभी-कभार कहीं आता होगा अथवा दुर्वासा अवतार कोई श्राप देकर भी लोगो को मोड़ने की कोई लीला हुई तो अलग बात है ।
जरा-जरा बात में गुस्सा होकर जो श्राप देते है और दम मारते है तो आप उस समय थोड़े शांत और निर्भीक रहो ।
नारायण नारायण ! नारायण नारायण ! नारायण नारायण !