माया का स्वरुप क्या और कैसे बचें ?
पूज्य बापूजी :
मा या , जो दिखे और टिके नहीं ये माया का स्वरुप है जो बदल जाता है .... जो दीखता है वो स्वप्ना है और परमात्मा अपना है परमात्मा प्राप्ति की इच्छा से माया से बचता है , भगवान की सरन ह्रदय पूर्वक जाने से माया से बचता है