ध्यान की अवस्था में कैसे पहुंचे ?


ध्यान  की  अवस्था  में  कैसे  पहुंचे ? अगर  घर  की  परिस्थिति  उसके  अनुकूल  न  हो  तो  क्या  करे ?

पूज्य बापूजी :   




घर  की  परिस्थिति  ध्यान -भजन  के  अनुकूल  नहीं   है , इसलिए  ध्यान  न  करे ,ऐसी  बात  नहीं  है । परिस्थितियों  को  अनुकूल  बनाकर  ध्यान  नहीं  होता ,हर  परिस्थिति  में  ध्यान  का  माहौल   अथवा  सावधानी  का माहौल ,साक्षी  भाव  का माहौल ,अपने  चित्त  में  और  वातावरण  में  ज़माना  चाहिए ।   कभी -कभी  अलग  से  एकांत  में   साधना  की  जगह  पर ,आश्रम  या  एकांत  मिले ,जैसे  मौन  मंदिर  कर  लिया  8-8 दिन  के  2-4 , तो  ध्यान  का  रस  आने  से घर  के  परिस्थितियों  में  भी , वातावरण  बनाने  में  भी  बल  मिल  जायेगा । 


हम  घर  में  थे , घर  में  जो  रजो -तमो  गुण  होता  है उससे ध्यान -भजन  में  तो  बरकत  आती  नहीं , बिलकुल  सीधी  बात  है ।  किसी  संत  महापुरुष  ने  मौन  मंदिर  बनाये  थे ,तो  हम  7 दिन  उसमे  रहे  और  फिर  बड़ा  बल  मिला ।  अपने कई  आश्रमों  में  मौन  मंदिर  हैं, और  बहुत सारे  आश्रम  हमने  इसी  उद्देश्य  से  बनाये  हैं कि जो ध्यान -भजन  करना  चाहे , महीना,  15 दिन-2 महीना-4 महीना वो  अपने  एकांत  के  आश्रम  में  रहकर  कर  सकते  हैं  फिर  घर  जा  सकते  हैं ।